कंधे पर दो वीर बैठा कर चले वीर हनुमान

 कंधे पर दो वीर बैठा कर चले वीर हनुमान
कंधे पर दो वीर बैठा कर चले वीर हनुमान... जै श्री राम ..
रामायण:
श्री हनुमान , राजा सुघरीव के मंत्री होने के साथ साथ उसके बोह्त आछे मित्र भी थे , जब श्री राम पिता दशरथ का वचन पूरा करने के लिए 14 साल बनवास आए ओर लंका का राजा रावण माता सीता का अपहरण किया तो श्री राम और लक्ष्मण माता सीता की खोज करने निकले तो सुघरीव को शंका हुई के ये दोनो राजा बाली के भेजे हुए दूत हें तो सुघ्रिव ने हनुमान को दोनो (राम लक्ष्मण) का परिचया करवाने के लिए भेजा .. तब हनुमान श्री राम से मिले और उनसे बात चीत करी तो हनुमान ने अयोध्यपति श्री राम को पहचाना और श्री राम लक्ष्मण को अपने और सुघरीव के बारे मे सब कुछ बताया और सुघ्रिव से मित्रता करने के लिए वेन्ति की और प्रभु श्री राम ने मित्रता क़ुबूल की तब हनुमान ने श्री राम लक्ष्मण को अपने कंधे पर बिठा कर सुघ्रिव के पास ले गये ..
पवन पुत्र हनुमान की जै. सिया पति राम चंद्रा की जै